हिंदुओं के लिए Khatu Shyam Ji का विशेष महत्व है। जैसे हर देवी-देवता को कुछ ना कुछ विशेष भेंट चढ़ाया जाता है, ठीक उसी तरह खाटू श्याम जी को भी इत्र चढ़ाने की परंपरा है। चलिए, जानते हैं कि खाटू श्याम जी को इत्र चढ़ाने की यह प्रथा कैसे आरंभ हुई।
खाटू श्याम जी का मंदिर सीकर जिले में स्थित है।बाबा Khatu Shyam Ji को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि तीन बाण धारी, हारे का सहारा और लखतादार। वह भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार भी माना जाता है। यहां बताया जाता है कि उन्हें बार्बरीक, भीम के पौत्र, और घटोत्कच के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है।
बाबा खाटू श्याम की श्रृंगार आरती के दौरान उनका विशेष शृंगार किया जाता है जिसमें गुलाब के फूलों और इत्र का उपयोग होता है। इससे मंदिर में हमेशा महक और सुगंध बनी रहती है। यहां हम जानेंगे कि इसके पीछे क्या कारण है।
इसलिए इत्र चढ़ता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब बाबा Khatu Shyam Ji , अर्थात बर्बरीक, बच्चे थे, तो उनके जन्म स्थान के पास एक ऐसी नगरी थी जिसमें बहुत सारे गुलाब के पौधे थे। बर्बरीक जी ज्यादातर अपना समय उन गुलाबों के पास बिताया करते थे और उन्हें खेलना पसंद था। गुलाब उनके प्रिय फूल बन गए और इसीलिए खाटूश्याम जी को उनके प्रिय गुलाब के फूल या उनसे बना इत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
यह भी एक कारण है
Khatu Shyam Ji पर गुलाब या फिर गुलाब का इत्र चढ़ाने का अन्य कारण यह भी माना जाता है कि हिंदू धर्म में गुलाब को प्रेम का प्रतीक के रूप में देखा जाता है। ऐसे में जब भक्तगण बाबा श्याम जी को गुलाब का फूल, माला या इत्र अर्पित करते हैं, तब यह भक्त और भगवान के बीच के प्रेम और अटूट विश्वास को दर्शाता है।
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इससे होते हैं ये फायदे
विश्वास है कि जो भक्त खाटू श्याम जी को सराहनीय भाव से गुलाब अर्पित करते हैं, उनकी सभी गलतियाँ क्षमा की जाती हैं। उसकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। Khatu Shyam Ji के मंदिर से इत्र लेकर आने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
ये चीजें भी अर्पित की जाती हैं
बाबा Khatu Shyam Ji को गुलाब, इत्र और खिलौने भी चढ़ाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो निसंतान जोड़े खाटू श्याम जी को खिलौने, बांसुरी, मोर छड़ी, नारियल बांधकर मन्नत मांगते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। इससे उनके परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।