Karwa Chauth 2022 (करवा चौथ) : जानिये तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा
अक्टूबर के महीने में कई बड़े व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। दुर्गा पूजा, करवा चैथ, दशहरा, दीपावलीे और छठ पूजा जैसे कई बड़े त्योहार अक्टूबर के माह में मनाए जाएंगे। हर साल की तरह इस बार भी महिलाएं करवा चौथ को लेकर काफी उत्सुक हैं। इसकी तैयारी भी उन्होंने शुरु कर दी है। हमारे देश में करवा चौथ के व्रत का काफी महत्व हैं। यह व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। आज के लेेख में हम आपको Karwa Chauth 2022 (करवा चौथ) से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे 2022 में करवा चौथ का व्रत कब रखा जाएगा? शुभ मुहूर्त क्या होगा, करवा चौथ व्रत कथा एवं पूजन विधि यह सब विस्तार से बताने वाले हैं। इसलिए लेख को पूरा पढ़ें।
करवा चौथ 2022 मुहूर्त एवं तिथि
इस साल करवा चौथ का व्रत अक्टूबर महीने की 13 तारीख को रखा जाएगा। शुभ मुहूर्त की अगर बात करें केवल एक घंटे के बीच ही आप पूजा कर सकते हैं। 13 अक्टूबर 2022, दिन रविवार की शाम 5:46 से 6:50 तक ही शुभ मुहूर्त रहेगा। करवा चौथ के दिन चांद निकलने का समय रात 8:00 बजे से 8:40 के बीच है।
Karwa Chauth 2022 पूजा विधि
करवा चौथ के व्रत के दिन सभी महिलाएं सुबह स्नान करके नए वस्त्र पहनती हैं। हाथों में मेंहदी लगाती हैं। पूर्ण रूप से श्रंगार करती हैं। सरगी ग्रहण करने के बाद व्रत शुरु करती हैं। इसके बाद की विधि इस प्रकार है।
- शिव, पार्वती और उनके परिवार तथा श्री कृष्ण की स्थापना करें।
- पूजा के पहले श्री गणेश जी को पीले पुष्प, लड्डू एवं केलें का भोग लगाएं।
- भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रंगार की सामग्री अर्पित करें।
- कृष्ण भगवान को मिश्री एवं माखन का भोग लगाएं।
- अगरबत्ती एवं घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद मिट्टी के बने हुए करवे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं
- अब छलनी से चंद्र भगवान के दर्शन करें और उन्हें अघ्र्य दें।
- इस दिन करवा चौथ के व्रत की कथा अवश्य सुनें।
- कथा सुनने के बाद सभी बड़ों का आशीर्वाद लें।
सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए पढ़े यह मंत्र
श्रीगणेश का मंत्र – ॐ गणेशाय नमः
शिव का मंत्र – ॐ नमः शिवाय
पार्वतीजी का मंत्र – ॐ शिवायै नमः
स्वामी कार्तिकेय का मंत्र – ॐ षण्मुखाय नमः
चंद्रमा का पूजन मंत्र – ॐ सोमाय नमः
‘मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’
करवा चौथ के व्रत का क्या महत्व है?
करवा चौथ दो शब्दों से बना है, करवा का अर्थ है मिट्टी के तेल का दीपक और चौथ का अर्थ है चार। करवा चौथ का दिन दिवाली के करीब मनाया जाता है, ठीक कार्तिक महीने के चौथे दिन पड़ता है। कार्तिक माह फसल के समय का जश्न मनाता है, जहां यह लोगों से मिलने और उत्सव मनाने का समय होता है। करवा चौथ एक पति और पत्नी के बीच प्यार और एकता का जश्न मनाने वाले खूबसूरत बंधन का उत्सव है।
विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। पूरे दिन का व्रत रखने के बाद महिलाएं चांद को देखकर अपना व्रत खोलती हैं। पूरे दिन वे न कुछ खाती है और न ही कुछ पीती है। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से उनके पति को दीर्घायु प्राप्त होती है। चांद निकलने के बाद वे छलनी में घी का दीया जलाकर चांद के दर्शन करती है। यदि किसी महिला ने चंद्रोदय से पूर्व अपने व्रत को तोड़ दिया है तो उसका व्रत खंडित हो जाता है। इस व्रत में भगवान शिव, पार्वती, उनके परिवार और श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।
करवा चौथ व्रत की कथा
एक बार की बात है, वीरवती नाम की एक सुंदर रानी थी जो सात प्यारे और देखभाल करने वाले भाइयों में इकलौती बहन थी। अपनी मां और भाइयों की पत्नियों की तरह ही करवा चौथ का पहली बार व्रत रखा था। उसके भाइयों ने रात में उसके साथ खाना खाने के लिए कहा, हालांकि, उसने चंद्रोदय से पहले कुछ भी खाने से इनकार कर दिया। उसके भाई उससे बहुत प्यार करते थे और अपनी बहन को उपवास की कठोरता से खड़े होकर चाँद के उगने का बेसब्री से इंतजार करते नहीं देख पा रहे थे। अपनी बहन की पीड़ा को देखकर सातों भाई बहुत परेशान हुए और उसने उसे धोखा देकर उसका उपवास समाप्त करने का फैसला किया। तब भाइयों ने पीपल के पेड़ के पत्तों के माध्यम से आग की मदद से दर्पण जैसी छवि बनाई और अपनी बहन को व्रत तोड़ने के लिए कहा।
वीरवती ने अपने भाई की पत्नियों से भी व्रत तोड़ने को कहा। परन्तु उन्होंने उस से कहा, तेरे भाई तुझे धोखा दे रहे हैं, चन्द्रमा अभी तक नहीं निकला था। लेकिन वीरवती ने अपनी बात टाल दी। बहन ने इसे चंद्रोदय मानकर व्रत तोड़ा और भोजन किया। जैसे ही रानी ने खाना खाया, उन्हें खबर मिली कि उनके पति की मौत हो गई है। वह तुरंत अपने पति के पास गई और रास्ते में वह भगवान शिव और देवी पार्वती से मिली। उसने पूरी श्रद्धा के साथ कड़े अनुष्ठानों के तहत करवा चौथ की रस्में निभाईं और अपने पति को वापस जीवित कर दिया।
करवा चौथ व्रत आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती.. ओम जय करवा मैया।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे.. ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे.. ओम जय करवा मैया।
Karwa Chauth 2021 date
विवाहित महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपनी पति की दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। रात को चांद देखने के बाद ही पत्नियां इस व्रत को खोलती हैं। 2021 में यह व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा गया था।
निष्कर्श
अक्टूबर माह शुरु होते ही त्योहारों का सिलसिला भी शुरु हो जाएगा। सबसे पहले दुर्गा पूजा से यह माह शुरु होगा। आज के लेख में हमने आपको Karwa Chauth 2022 (करवा चौथ) से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्रदान करी है। करवा चौथ कब मनाया जाएगा? करवा चौथ से जुड़ी व्रत कथा क्या है? आपको हमारा यह लेख कैसा लगा कमेंट बॅाक्स में हमें जरूर बताएं। अन्य किसी भी जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें।
धन्यवाद,
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