एंडीज के पहाड़ो की दर्दनाक कहानी 

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ये कहानी की शुरुआत होती है उरुग्वे से जहा पर एक रग्बी खेल की टीम थी जिस टीम का नाम था ओल्ड क्रिस्चियन क्लब रग्बी एक खेल है जो यूरोपियन देशो बहुत प्रसिद्ध है,उरुग्वे में इस रग्बी टीम का बहुत नाम था,और 1968 और 1970 में नेशनल चैंपियनशिप जो होती है वो भी जीती थी अक्टूबर के महीने में ये लोग उरुग्वे से चिली के एक शहर संत डिएगो जाते थे,और वह पे चिली की एक रग्बी टीम ओल्ड बॉयज नाम से वहाँ पर जाके एक डैम दोस्तों की तरह मैच खेलते थे तो ये अपने साथ अपने घर वालो और दोस्तों को भी लेकर जाते थे जिससे वहाँ पर एक तरह से उनकी छुट्टिया भी बन जाती थी। 

.ये घटना कैसे घटी

एक बार उरुग्वे की रग्बी टीम को साल 1972 अक्टूबर के महीने में 12 तारीख को इन लोगो को संत डिएगो जाना था रग्बी मैच खेलने प्लान के मुताबिक़ इन लोगो को अपने दोस्तों और परिवार के लोगो के साथ जाना था उसके बाद वे सभी लोग उरुग्वे के एयरपोर्ट जिसको नाम करसको इंटरनेशनल एयरपोर्ट से एक विमान लिया जिसका नाम था फैरचिल्ड ऍफ़ एच 227 डी को पकड़ के सुबह के 8 बजे चिली के लिए निकलना था 

और ये जो विमान था ये कोई आम विमान नहीं था ये उरुग्वे की सेना का विमान था ये ऐसा इसलिए करते थे क्युकी उस समय उरुग्वे की सेना के पास पैसो की कमी आ गयी थी तो वो अपने विमानों को खाली समय में किराय पर देते थे उस समय ये लोग सिर्फ 1600 डॉलर लेती थी जिसमे ये विमान आपको एक जगह से दूसरी जगह पंहुचा देती थी,और इस विमान को कोई भी किराय पर ले सकता था 

.घटना से पहले की जानकारी 

अब ये लोग उरुग्वे से निकल चुके थे और इसमें कुल 45 यात्री थे और 19 रग्बी टीम के मेंबर थे और बाकी 21 यात्री परिवार और दोस्त गढ़ थे और 5 क्रू मेंबर्स थे और उस विमान को जो उड़ा रहा था उसका नामतः फैरादास जिसको 5,170 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव था और उरुग्वे से चिली जाते समय एंडीज की पहाड़ियों में पलान्छन पास पड़ता था और ये जो पलान्चन के इलाके के पास पड़ता और इस इलाके में पायलट को विमान उड़ाने में बड़ी दिक्कत होती थी क्युकी इस जगह पे कभी भी मौसम ख़राब हो जाता था और यहाँ के कुछ पहाड़ो की ऊचाई 22,800 फ़ीट से भी ज्यादा थी और इनका जो विमान था उसकी उड़ने की क्षमता सिर्फ 22,500 फ़ीट थी और इस इलाके में जाते समय कण्ट्रोल सेण्टर से संपर्क करने में भी बड़ी दिक्कते होती थी लेकिन इनका जो पायलट था फेरदास इसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी क्युकी ये पायलट 29 बार इस जगह से उड़ कर जा चुका है तो इससे यहाँ का हर एक कोना-कोना पता है लेकिन ये जो पायलट था इसके साथ एक को-पायलट भी था जिसका नाम था लगुरारा जो की सीख रहा था जो मुख्य पायलट था वो अपने साथ लगुरारा को इस इलाके में विमान को उड़ाने की ट्रेनिंग दे रहा था और विमान का जो सारा कण्ट्रोल था वो भी उसने लगुरारा को दे रखा था जिससे वो भी उड़ाना सीख जाए इस इलाके में जो इनकी सबसे बड़ी गलती थी इस गलती से अभी कई जान जाने वाली थी। 

.सुबह कि बात

होता ये है कि सुबह-सुबह ये लोग उरुग्वे के एयरपोर्ट से निकलते है और चिली की तरफ रवाना होते है थोड़ी दूर चलते ही मौसम ख़राब और जब मौसम कुछ ज्यादा ही ख़राब हो जाता है तब उन्हें मजबूरी में अर्जेंटीना के मेंडोज़ा में उतरना पड़ा और जो चिली था वो मेंडोज़ा से थोड़ी ही दूर पे था 

विमान उड़ने के कुछ देर पहले

लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर था और जब तक ये लोग मौसम ठीक होने इंतज़ार कर रहे थे तब ही उन्होंने वहाँ पर खरीदारी करने का सोचा और उसके बाद उन्होंने वहाँ से वाइन की बोतल और भी कुछ खाने की सामग्री खरीदी और इसके अगले दिन यानी 13 अक्टूबर 1972 को जो दिन था उस दिन मौसम थोड़ा सही होता है और वो लोग चिली के लिए एक बार फिरसे निकल पड़ते है करीब 2 बजे पायलट फिरसे विमान को उड़ाता है और आसमान की तरफ चल देता है और चिली की तरफ ले जाता है थोड़ी देर उड़ने के बाद ही करीब अनुमानित समय 3 बजकर 21 मिनट पर ये विमान पहुँचता है पलान्छन पास अभी तक भी कोई दिक्कत वाली बात नहीं थी अब यहाँ से जो को-पायलट था वो सन टिआगो एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल से उतरने की अनुमति मांगता है और बताता है कि वो 3 बजके 32 मिनट पर करिको जोकि चिली में है वहाँ पर पहुंच जायेगे लेकिन इसके बाद दोबारा जो लगुरारा होता है वो फिरसे एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल से कनेक्ट करता है और कहता है कि हम लोग चिली के क्यूरिको पहुंच गए है और अब हम लोग उत्तर कि तरफ मुड़ रहे है। इसके बाद उन्होंने उतरने कि अनुमति मांगी अब ये बात एयर कंट्रोलर में पता चली जो सुनता फिर हैरान हो जाता और सोचता है कि ये कह क्या रहा है क्युकी क्यूरिको पहुंचने का जो समय था वो था 11 मिनट लेकिन को-पायलट जो होता है वो सिर्फ 3 मिनट बाद ही कहता है कि वो लोग चिली के सन डिएगो पहुंच रहे है लेकिन एयर कंट्रोलर ने ज्यादा ध्यान नहीं किया और उनसे कहा कि ठीक है आप अपने विमान को 10000 फ़ीट पर ले आईये और कहने के बाद उतरने कि अनुमति दे देता है 3 बजके 30 मिनट पर ये विमा से आखिरी बात हुई थी उसके बाद वो पायलट विमान को बताई हुई ऊचाई पर ले आते है और अब इस हरकत के बाद कई लोगो और इसकी खुद कि जान भी जाने वाली थी हुआ ये था कि कि जो को-पायलट होता है वो एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल को गलत तरीके से समझ लेता है और उसको लगता है कि वो चिली आ गए है और वो नीचे आ जाते है। और इस बात को मुख्य पायलट भी नहीं समझ पाता है और उचाई काम करने लगते है और ऐसे इलाके में जहा पर पहाड़ है जिनकी उचाई बहुत ज्यादा है और इनका जो विमान है वो एंडीज कि पहाड़ियों के बीच में है और इस बात का किसी को अंदाज़ा भी नहीं था जब को-पायलट विमान कि उचाई काम करता है तब वो सबसे पहले एयर पॉकेट से लड़ जाता है उसके बाद विमान बुरी तरह से हिलने लगता है जब प्लेन ज्यादा ज़ोर से हिलने लगता है तब लोग डर कि वजह से सीट बेल्ट लगा लेते है। 

उसके बाद विमान का एक पंख पहाड़ से लड़ जाता है और दूसरा भी टूट जाता है और विमान कि पीछे कि जो बॉडी होती है वो भी उड़ जाती है और विमान के पीछे वाले हिस्से में जो यात्री बैठे होते है वो भी बाहर चले जाते है 

उनका आज तक कोई पता नहीं चला की वो लोग कहा चले गए किसी को नहीं पता चला और उसमे से 9 लोगो की तो तुरंत ही मौत हो जाती है और विमान का जो रेडियो होता है वो भी टूट जाता है उसके बाद बहुत लोगो का पेअर होता है वो टूट जाता है और बहार आ जाता है। 

उस समय का दृश्य 

उस समय सारे लोग दर्द से चिल्ला रहे होते है और रो रहे होते है और सबसे बड़ी बात उस दुर्घटना में लोगो ने अपने दोस्तों और परिवार वालो को खो दिया था और अब लोगो के अंदर डर का माहौल था और सारे लोग खून से सने हुए थे और ये बात तब तक हर जगह फ़ैल चुकी थी कि उरुग्वे से चिली जाते समय एक विमान दुर्घटना का शिकार हो गया है सारी टीम सभी को ढूंढने में लग गयी,और एक कनाडा के विमान के द्वारा मिशन को चालू किया गया। हालांकि एक विमान निकला उनके ऊपर से लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया क्युकी विमान का रंग सफ़ेद था और बर्फ भी सफ़ेद थी तो वो उन लोगो को देख नहीं पाया। 

जब उनका बचाव मिशन चल रहा था तब वे लोग विमान में गैसोलीन कि महक आने लगी थी तो सभी लोग घायल लोगो को भी बाहर कर लिया क्युकी उन्हें डर था कही विमान में आग न लग जाए तब उन्होंने सभी लोगो को जो लोग घायल थे,उन्हें भी बहार लाया ताकि वो बच सके लेकिन इतनी ठण्ड थी कि उन लोगो को वापस जाना पड़ा और पीछे का हिस्सा टुटा हुआ था तो उन लोगो ने सीट लगा लिया ताकि ठंडी हवा अंदर न आ सके उसके कुछ दिन ऐसे ही निकल गए और भूक के कारण कुछ और लोगो कि भी जान चली गयी अब इन लोगो के अंदर इतनी ताकत नहीं थी कि ये लोग आगे भी बढ़ सके ये लोग अब जो लोग मर चुके थे उन्हें खाना चालू कर दिया और बर्फ को को खाकर ज़िंदा रहते इसके कुछ दिन बाद इनके रेडियो पर खबर आयी कि अब सर्च ऑपरेशन रोक दिया गया है तो अब इन्होने ठाना कि अब हम लोगो को ही कुछ करना पड़ेगा और अब ये तीन लोग निकल पड़े थे लेकिन इन्होने जब देखा कि इनके पास खाना बहुत काम है तब इन्होने अपने एक साथी को वापस भेज दिया

उसके बाद ये लोग 60 किलोमीटर चले और इन लोगो जे कहा कि ये लोग दिन में चढ़ेंगे और रात में रुकेंगे और ऐसे करते करते पहुंच गए और इन्हे वहाँ एक एक आदमी से इन्होने मदद मांगी उसने इन लोगो कि मदद भी कर दी और इन लोगो कि जान बच गयी लेकिन कुछ लोग नहीं बच पाए।