Basant Panchmi माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार बसंत पंचमी हिंदू पंचाग की गणना के अनुसार 05 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी का त्योहार माघ के महीने में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। बसंती पंचमी के दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
जानिये क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
वर्ष 2022 में Basant Panchmi की तिथि 5 फरवरी दिन शनिवार है। पंचमी तिथि की शुरुआत 5 फरवरी को सुबह 3 बजकर 48 मिनट से शुरु हो जाएगी और 6 फरवरी दिन रविवार सुबह 3 बजकर 46 पर इस तिथि की समाप्ति हो जाएगी। ऐसे में जानते है क्या होगा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त
Basant Panchmi के दिन मां सरस्वती की अराधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और बुद्धि का विकास भी होता है। पूजा के शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?
बसंत पंचमी का त्योहार हमारे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। शास्त्रों एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता श्री ब्रह्मा जी ने मनुष्यों और जीवों की रचना की थी जब उन्होंने अपनी ही बनाई सृष्टि को देखा तो चारों तरफ शांति दिखाई थी जैसे पूरी सृष्टि वाणीहीन थी।
तब ब्रह्मा जी ने अपना दुख श्री विष्णु जी के सामने प्रकट किया और उनकी अनुमति से अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिड़का। जल की बूंदों से एक सुंदर चार भुजाओं वाली एक स्त्री प्रकट हुई जिसके हाथों में वीणा थी। श्री ब्रह्मा जी ने उनसे वीणा बजाने का आग्रह किया। वीणा के स्वर से जीव और जन्तुओं को वाणी मिली और सृष्टि रंगों से भर गई। उस दिन से उन्हेे सरस्वती की नाम से जाना गया। वाणी के साथ ही साथ उन्होंने बुद्धि और ज्ञान भी दिया इसलिए Basant Panchmi के दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है।
Basant Panchmi पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन सभी शिक्षण संस्थाओं में मां सरस्वती की पूजा की जाती है विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है यहां पे हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार आप घर में आप बसंत पंचमी की पूजा कर सकते है आइये जाते है पूजा की उचित और आसान विधि-
इस दिन हम सभी को सूर्योदय से पहले नहाकरसाफ वस्त्र पहनने चाहिए। मां सरस्वती को पीला रंग प्रिय है इसलिए इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
1- इसके बाद पूर्व या उत्तर की दिशा में देवी की मूर्ति या प्रतिमा को आसन बिछाकर स्थापित कर दें।
2- अब मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
3- अब चंदन, रोली, केसर, हल्दी या पीले रंग के फूल और अक्षत देवी सरस्वती को अर्पित करें।
4- इसके बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
5- पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और पुस्तकें रख दें।
6- अब माता सरस्वती का ध्यान करके उनकी वंदना करें।
माँ सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥2॥
बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मंत्र
‘एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति।
अप्रशस्ता इवस्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि।।
7- Maa Saraswati की आरती करके उन्हे नमन करें।
मां सरस्वती जी की आरती
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
जाकी कृपा कुमति मिट जाए, सुमिरन करत सुमति गति आये।
शुक सनकादिक जासु गुण गाये, वाणि रूप अनादि शक्ति की।
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
नाम जपत भ्रम छूट दिये के, दिव्य दृष्टि शिशु उधर हिय के।
मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के, उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की।
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
रचित जासु बल वेद पुराणा, जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।
तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना, जो आधार कवि यति सती की।
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की।
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
बसंत पंचमी में क्या करें क्या नहीं करें
क्या करें
- सभी पुस्तकों एवं वाद्य यंत्रों की पूजा करें।
- पीले वस्त्र धारण करें।
- मां सरस्वती को खीर चढ़ाएं।
- यदि आप नींव पूजन, मांगलिक कार्य या वाहन खरीदने जैसे कोई भी शुभ कार्य करना चाहते है तो इस दिन कर सकते है यह दिन बेहद शुभ है।
- इस दिन खासतौर से विद्यार्थियों को माता सरस्वती की वंदना करनी चाहिए।
- बच्चों के अन्नप्राशन के लिए बहुत ही अच्छा है।
- इस दिन छोटे शिशुओं की जिह्वा में शहद से ॐ लिखना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें बुद्धि प्राप्त होती है और पढ़ने-लिखने मे उन्हें रुचि भी प्राप्त होती है।
क्या न करें-
- इस दिन पेड़-पौधों को नहीं काटना चाहिए।
- इस दिन क्रोध करने से बचना चाहिए।
- मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा चीज़ें चढ़ाएं।
- घर में सुख- शांति बनाए रखने के लिए क्रोध न करें।
- कोई भी गलत कार्य करने से बचे।
- शराब एवं नाॅनवेज का सेवन न करें।
निष्कर्ष
इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है और इस दिन माँ सरस्वती कि पूजा कैसे करते है। इसके साथ ही हमने जाना कि बसंत पंचमी पूजा विधि, आरती-मंत्र क्या है।
Read Also
Navratri: माँ दुर्गा के 9 रूपों से जुड़े है ये 9 रंग, हर रंग का है बड़ा महत्व