डिजिटल मार्केटिंग में PPC(Pay-Per-Click) और SMO(Social Media Optimization) दो बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतियां हैं। इन दोनों का लक्ष्य व्यवसाय को ऑनलाइन बढ़ावा देना है लेकिन ये दोनों कई प्रकार की विधियों और लक्ष्यों पर आधारित है। हमें इनके बीच अंतर को समझने के लिए हमको इनके कार्य करने के तरीके, उद्देश्य, लागत और इसके लाभ – हानियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
1. PPC (Pay-Per-Click)
PPC का मतलब
जैसे की हमने पहले ही आपको बता चुकें हैं की PPC एक डिजिटल एडवरटाइजिंग मॉडल है, जहाँ पर एडवरटाइजर अपने Advertisement पर मिलने वाले प्रत्येक क्लिक के लिए कुछ भुगतान करते हैं। मतलब की जब भी कोई यूजर उस विज्ञापन पर क्लिक करे, तो उस पर एक निश्चित शुल्क लिया जाये। इसको “क्लिक-आधारित-भुगतान मॉडल” के नाम से भी जाना है।
कैसे काम करता है PPC?
PPC आम तौर गूगल जैसे सर्च इंजन में इस्तेमाल होता है, जहाँ पर एडवरटाइजर अपने फोकस कीवर्ड पर विज्ञापन चलाते हैं। जैसे कि, यदि किसी को “सस्ते मोबाइल फोन ” ढूढ़ने हैं , तो एडवरटाइजर उस कीवर्ड पर बोली लगाएगा जिससे उसके Advertisement गूगल सर्च रिजल्ट के टॉप पर दिखाई दे। जब भी कोई यूजर उस विज्ञापन पर क्लिक करता हैं तो विज्ञापनदाता को कुछ शुल्क भुगतान करना पड़ता है।
PPC के लाभ : Benefits of PPC
- तत्काल परिणाम(Immediate Result): PPC रणनीति एक ऐसी रणनीति है जो कि तुरंत रिजल्ट देती है जैसे ही विज्ञापन चालू होता है वह सर्च इंजन पर दिखाई देने लगता है और वेबसाइट पर तेजी से ट्रैफिक आता है।
- लक्षित ग्राहक(Target Customer): PPC में टारगेट कीवर्ड विज्ञापन होने के कारण यह उन यूजर्स को आकर्षित करता है जो कि पहले से ही किसी विशेष प्रोडक्ट या सर्विसेज को खोज रहे होते हैं, इससे ग्राहक को लक्षित करना आसान हो जाता है।
- ब्रांड जागरूकता(Brand Awareness): भले ही कोई उपयोगकर्ता हमारे विज्ञापन पर क्लिक न करे लेकिन विज्ञापन को देखने से ही ब्रांड का एक्सपोजर बढ़ता है।
- फ्लेक्सिबिलिटी कर मापनीयता (Flexibility and Scalability): PPC चलाने का यह सबसे अच्छा फायदा होता है कि इसे किसी भी समय रोक सकते हैं ,यह हमारे बजट पर समायोजित करता है और हम किसी भी समय विज्ञापन को बदल सकते हैं और इसके आलावा आपको सभी क्लिक्स, ट्रैफिक और कन्वर्शन का विस्तृत डाटा मिलता है जिससे आप अपनी रणनीति को और बेहतर बना सकते हैं।
PPC के नुकसान : Disadvantages of PPC
लागत(Cost): PPC में क्लिक के आधार पर भुगतान करना होता है जो कि खर्चीला हो सकता है। यदि कम्पटीशन अधिक है तो क्लिक का शुल्क भी अधिक हो सकता जिससे यह छोटे व्यवसायों के लिए यह खर्च करना कठिन हो सकता है।
लघु जीवन(Short Life): PPC में यह नुकसान है कि जैसे ही आप विज्ञापन बंद करते हैं तो ट्रैफिक आना भी बंद हो जाता है यानि PPC का प्रभाव विज्ञापन तक ही सीमित है।
जटिल प्रबंधन (Complex Management): एक अच्छा और प्रभावी PPC अभियान चलाने के लिए हमें लगातार कीवर्ड, क्लिक, लागत, और CTR(Click-Through Rate) पर नजर रखनी पड़ती है।
PPC Plateforms:
PPC अभियान चलाने के लिए विभिन्न प्लैटफॉर्म्स उपलब्ध है जहाँ पर हम विज्ञापन चला सकते हैं:
- Google Ads: गूगल एड्स सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला प्लेटफॉर्म है।
- Microsoft Advertising: माइक्रोसॉफ्ट एडवरटाइजिंग, बिंग और याहू जैसे सर्च इंजन पर विज्ञापन चलने लिए परफेक्ट है।
- Social Media Ads: फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंकेडीन जैसे प्लैटफॉर्म्स पर भी PPC आधारित विज्ञापन उपलब्ध हैं जो कि सर्च इंजन कि तुलना में काफी सस्ते होते हैं।
2. SMO (Social-Media-Optimization)
SMO का मतलब
SMO रणनीति एक ऐसी रणनीति है जिसमें ब्रांड या प्रोडक्ट या सर्विसेज को सोशल मीडिया उपस्थिति को बढ़ाया जाता है। इसका मुख्या उद्देश्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स (जैसे कि Facebook , Instagram ,Twitter , LinkedIn) पर कस्टमर के साथ जुड़ाव व लगाव बढ़ाना है और आर्गेनिक तरीके से ब्रांड या सर्विसेज कि पहुँच को बढ़ाना है।
कैसे काम करता है PPC?
SMO का मुख्य कार्य है कि अपने ब्रांड को सोशल मीडिया पर ओरगनिक तरीके से प्रस्तुत करना है इसमें नियमित रूप से क्वालिटी कंटेंट पोस्ट करना , ग्राहकों से लगाव बढ़ाना, कस्टमर के सवालों का उत्तर देना और ब्रांड को एक विश्वशनीय पहचान देना आदि शामिल है। समो के लिए ब्रांड को विभिन्न सोशल मीडिया चैनल्स पर एक्टिव रहना होता है और अपनी उपस्थिति को लगातार मजबूत बनाना होता है।
SMO के लाभ : Benefits of SMO
- लम्बे समय का लाभ (Long Term Benefits): SMO के द्वारा ब्रांड कि उपश्थिति धीरे-धीरे काफी मजबूत होती जा रही है और समय के साथ साथ ब्रांड कि विश्वश्नीयता नहीं बढ़ती जा रही है। यह एक लम्बे समय कि रणनीति है जो ब्रांड के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ाती है।
- ओरगनिक ट्रैफिक (Organic Traffic): सोशल मीडिया पर नियमित रूप से एक्टिव रहने से और सही और क्वालिटी कंटेंट पोस्ट करने से ब्रांड को आर्गेनिक ट्रैफिक प्राप्त होता है, जिसके लिए किसी भी प्रकार के भुगतान कि आवश्यकता नहीं होती।
- ग्राहक जुड़ाव (Customer Engagement): SMO में कस्टमर से सीधा संपर्क होता है। प्रोडक्ट या सेवाएं अपने ग्राहकों कि प्रतिक्रियाओं को समझकर उनके अनुसार कंटेंट बना सकता है और यह ग्राहकों कि पसंद और नापसंद को समझने में मदद करता है।
- ब्रांड कि वैल्यू बढ़ाना (Increasing Brand Value): सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव रहने से ब्रांड कि पहचान और उसकी वैल्यू बढ़ती है। यह ब्रांड को कम्पटीशन में बेहतर स्थिति में रखता है।
SMO के नुकसान : Disadvantages of SMO
धीमे परिणाम : SMO के परिणाम तुरंत देखने को नहीं मिलते , बल्कि इसमें समय लगता है। इसलिए इसे हम लॉन्ग टर्म रणनीति भी कह सकते हैं।
निरंतर सक्रियता कि आवश्यकता : आपको SMO में निरंतर सक्रीय रहना जरूरी है यदि ब्रांड एक नियमित रूप से पोस्ट नहीं किया गया तो आप अपनी पहुँच और जुड़ाव को खो सकते हैं।
सामग्री का दबाव : SMO के लिए समय और मेहनत और रचनात्मकता कि जरूरत होती है क्योंकि SMO में नियमित और क्वालिटी पूर्ण कंटेंट कि आवश्यकता होती है।
SMO Plateforms:
SMO के लिए कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं जहाँ पर आप सोशल मीडिया पर अपना प्रभाव बना सकते हैं :
- Facebook : फेसबुक सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला प्लैटफॉर्म्स में से एक है , जहाँ पर ब्रांड पेज, ग्रुप्स और विज्ञापन बना सकते हैं।
- Twitter : ट्विटर एक ऐसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जहाँ पर काम शब्दों में सन्देश भेजने और ब्रांड कि नियमित जानकारी देने के लिए काफी उपयोगी है।
- LinkedIn : आप लिंकेडीन के माध्यम से व्यावसायिक नेटवर्किंग के लिए खासकर B2B (Business To Business) मार्केटिंग कि लिए यह काफी महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है जिसका उपयोग आप कर सकते हैं और अपने व्यवसाय के नेटवर्क को बढ़ा सकते हैं।
- Instagram : इंस्टाग्राम एक विजुअल आधारित प्लेटफॉर्म जो ब्रांड कि फोटो और वीडियो कंटेंट को बढ़ावा देता है
PPC और SMO में मुख्य अंतर (Difference between PPC and SMO)
विशेषता | PPC | SMO |
प्रयोजन | Advertisement से तत्काल ट्रैफिक लाना | ब्रांड की उपस्थिति और जुड़ाव बढ़ाना |
लागत | क्लिक पर आधारित भुगतान | मुख्य रूप से मुफ्त, समय और मेहनत पर आधारित |
परिणाम कि गति | तुरंत जैसे ही विज्ञापन चालू हो | Long term, धीरे-धीरे बढ़ने वाला |
लक्षित प्लेटफॉर्म | Search Engine (Google, Bing) | Social Media (Facebook, Instagram) |
प्रभाव | विज्ञापन समाप्त होते ही ट्रैफिक कम | Long term प्रभाव, निरंतर जुड़ाव की आवश्यकता |
PPC और SMO में कौन सी रणनीति बेहतर है ?
वैसे देखा जाये तो PPC और SMO दोनों का काफी महत्व है और इनका उपयोग आपके व्यवसाय के उद्देश्यों पर निर्भर करता है। हाँ, यदि आपको अपने व्यवसाय में तुरंत ट्रैफिक और बिक्री चाहिए तो आपके लिए PPC एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है। यह रणनीति उन व्यवसायों के लिए अच्छी है जो जल्दी ही रिजल्ट चाहते हैं जैसे कि इवेंट प्रमोशन या किसी विशेष ऑफर के लिए।
वहीँ दूसरी ओर देखें तो यदि आपका लक्ष्य ब्रांड कि दीर्घकालिक उपस्थिति और ग्राहकों से जुड़ाव बढ़ाना है , तो SMO आपके लिए अधिक प्रभावी हो सकता है। SMO उन व्यवसायों के लिए उपयुक्त है जो कि धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर ग्राहकों के साथ सम्बन्ध बनाना चाहते हैं और एक अद्वितीय पहचान बनाना चाहते हैं।
PPC और SMO का संयोजन
महत्वपूर्ण रूप से , एक अच्छी डिजिटल मार्केटिंग रणनीति में PPC और SMO दोनों का उपयोग किया जा सकता है। उदहारण के लिए, PPC का उपयोग आप शुरूआती ट्रैफिक बढ़ाने के लिए कर सकते हैं और बाद में SMO के जरिये अपने ग्राहकों के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहने के लिए कर सकते हैं।
PPC और SMO का संयोजन एक प्रभावी रणनीति हो सकता है क्योंकि PPC से मिलने वाले तत्काल परिणामों से ब्रांड को एक प्रारंभिक बढ़ावा मिलता है जबकि SMO से दीर्घकालिक जुड़ाव सुनिश्चित होता है।
निष्कर्ष :
जैसे आपने जाना कि PPC और SMO दोनों ही डिजिटल मार्केटिंग कि बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतियाँ हैं। आप अपने व्यवसाय के अनुसार इनका उपयोग करके अपने व्यवसाय को एक नई दिशा दे सकते हैं।